उत्तरकाशी: सुक्की गांव के समीप करीब 2 हेक्टयर से अधिक भूमि में फैले प्रकृति की अनमोल धरोहर अत्यधिक घने थुनेर के जंगल का स्थानीय युवा सदुपयोग करने का मन बना रहे हैं। युवा मंगल दल के सदस्यों ने थुनेर के इस घने जंगल को योग धाम के रूप में विकसित करने की मांग की है। जिससे यहां पर योग केंद्र खुल सके और उसके बाद बुग्यालों में साहसिक खेलों को बढ़ावा मिल सके. स्थानीय युवाओं की मांग है कि इस थुनेर के जंगल को योग पर्यटन और ईको पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाए। जिससे युवाओं को स्वरोजगार के नए आयाम मिल सकें। थुनेर प्रकृति की वह अनमोल धरोहर है, जो हिमालयी क्षेत्रों में करीब 2 हजार मीटर से अधिक ऊंचाई पर पाई जाती है। स्थानीय जानकारों की मानें, तो थुनेर के पेड़ की छाल से कैंसर की दवा भी बनाई जाती है। उत्तरकाशी जनपद में सुक्की गांव के समीप करीब 2 हेक्टेयर भूमि पर थुनेर का घना जंगल फैला हुआ है। इस जंगल मे 700 से अधिक थुनेर के वर्षों पुराने ऊंचे-ऊंचे पेड़ हैं। सुक्की युवक मंगल दल के सदस्यों ने गांव की इस अनमोल धरोहर थुनेर के जंगल को गांव के लिए वरदान बताया. युवाओं का कहना है कि यहां के घने वन और शांत वातावरण को देखते हुए इस क्षेत्र को योग केंद्र के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए। साथ ही इस जंगल के बाद बुग्यालों में साहसिक खेलों का आयोजन हो सकता है। वहीं युवाओं ने बताया कि इस जंगल से होते हुए यमुनोत्री धाम तक बन्दरपूंछ होते हुए 3 दिवसीय यात्रा वाले साहसिक और रमणीक ट्रैक हैं।
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