मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु की अध्यक्षता में शुक्रवार को सचिवालय में स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देने हेतु संचालित योजनाओं की समीक्षा बैठक आयोजित हुई।

मुख्य सचिव ने कहा कि अधिक से अधिक स्वयं सहायता समूह सृजित कर क्लस्टर आधारित रोजगार प्रदान कर सकते हैं।

मुख्य सचिव ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों को कार्यों का परिसीमन न करके पूर्ण स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। स्वयं सहायता समूहों को मात्र उत्पादन और वितरण जैसे कार्यों में न लगा कर सर्विस सेक्टर से भी जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूहों को बनाने का उद्देश्य आजीविका प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में बहुत से उत्पाद अन्य बाहरी राज्यों से आयातित किए जा रहे हैं। ऐसे उत्पादों को चिन्हित कर स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से उत्पादित कर सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाए जाने हेतु व्यवस्थाएं सुनिश्चित किए जाएं। उन्होंने उत्पादों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिए जाने की बात कही। साथ ही उत्पादों का वैल्यू एडिशन कर उत्पादों में विविधता लायी जानी चाहिए। उन्होंने विभिन्न विभागों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन कर उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने के भी निर्देश दिए।

मुख्य सचिव ने कहा कि विभिन्न राज्यों में स्वयं सहायता समूहों को आजीविका से जोड़ने हेतु की जा रही गुड प्रैक्टिसेज का अध्ययन कर प्रदेश में लागू किए जाने की दिशा में भी कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से कराए जाने वाले विभिन्न कार्यों और इवेंट मैनेजमेंट जैसे कार्यों को स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से कराए जाने पर विचार अवश्य किया जाए।

मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि स्वयं सहायता समूहों को मजबूत करने हेतु मार्केटिंग, बाजार उपलब्ध कराए जाने के साथ ही उत्पादों का संग्रहण और ट्रांसपोर्टेशन आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि पिरुल के ब्रिकेट्स को खाना बनाने के ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके उत्पादन और वितरण में स्वयं सहायता समूहों की सहायता लेकर इस योजना का संचालित किया जा सकता है। इससे एक और जहां जंगलों से पिरूल हटाकर जंगलों को जलने से बचाया जा सकेगा वहीं दूसरी ओर स्वयं सहायता समूहों को रोजगार मिलेगा।

इस अवसर पर सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी एवं डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम सहित सम्बन्धित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

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