बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने अधिकारियों से पर्वतीय क्षेत्रों में छोटी छोटी खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को बढ़ावा दिए जाने की बात कही।
मुख्य सचिव ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों के विभिन्न उत्पाद यातायात सुविधाओं के अभाव या मार्गों के अवरुद्ध होने के कारण समय से बाजार में नहीं पहुंच पाते। इससे कृषकों को अत्यधिक नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए इस प्रकार की पॉलिसी तैयार की जाए कि खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े सूक्ष्म श्रेणी के छोटे छोटे उद्योगों को अधिक से अधिक वेटेज मिल सके। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका हार्टिकल्चर विभाग को निभानी है। हार्टिकल्चर मार्केटिंग बोर्ड को भी अपनी गतिविधियां बढ़ाए जाने की आवश्यकता है।
मुख्य सचिव ने उद्योग विभाग को आवश्यकता का समेकन और कच्चे माल के लिए खरीददार उपलब्ध कराए जाने की दिशा पर फोकस किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर अधिक फोकस किए जाने की भी बात कही ताकि रॉ मैटेरियल एक साथ एक जगह पर उपलब्ध हो सके। इसके लिए स्वयं सहायता समूहों को अधिक से अधिक प्रोत्साहित किया जाए। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन होगा। उन्होंने योजना को सफल बनाने के लिए व्यावहारिक समस्याओं के निराकरण किए जाने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि उत्पाद को बढ़ावा देने से पहले उसके बाजार की व्यवस्था और किसानों और अन्य हितधारकों को भी विश्वास में लिया जाए।
इस अवसर पर सचिव डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय एवं अपर सचिव रोहित मीणा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।