राज्य भर से आए संस्कृत शिक्षक अपने शिक्षक संगठन “संस्कृत-विद्यालय-महाविद्यालय-प्रबंधकीय-शिक्षक-समिति- उत्तराखंड” के बैनर तले निदेशालय भवन के सामने एकत्र हुए। निदेशालय परिसर में भव्य यज्ञकुंड बनाकर उसने वेदमंत्रों के साथ आहुति डाली गई। उसके पश्चात सभी संस्कृत शिक्षक निदेशालय के सामने धरने पर बैठ गए। सभी शिक्षकों ने हाथों में तख़्तियाँ लेकर अपने जायज माँग से शासन को संदेश दिया और विभागीय निष्क्रियता के विरूद्ध नारे लगाए !
धरना में बैठे संस्कृत संगठन के अध्यक्ष भगवती बिजलवान ने कहा कि उत्तराखंड के सौ-सौ वर्ष पूर्व स्थापित संस्कृत विद्यालयों में पिछले 30-40 वर्षों से कोई पद सृजित नही किए गए । जी लोग नियुक्त थे वे धीरे- धीरे सेवानिवृत होते गए और सरकार ने जब उन पदों पर कोई नियुक्तियाँ नही की तो विद्यालय के प्रबंधकों द्वारा अल्पवेतन पर रखे गए संस्कृत आचार्यों के कंधों पर संस्कृत भाषा को बचाने की ज़िम्मेदारी डाल दी गई । इस बीच उत्तराखंड सरकार द्वारा विद्यालयों में नए विषयों को लागू किया गया । प्रबंधकों द्वारा इन विषयों के अध्यापन हेतु भी शिक्षकों को नियुक्त करना पड़ा । इतनी लम्बी अवधि तक संस्कृत के सेवा करने के कारण सरकार द्वारा सन 2021 में इन संस्कृत विद्यालयों में 155 प्रबंधकीय शिक्षकों को सम्मानराशि प्रदान करने का निर्णय लिया गया लेकिन तत्समय 126 शिक्षक उस मानदेय सूची में सम्मिलित नही हो पाए थे।
इन 126 शिक्षकों की माँग को मुख्यमंत्री धामी द्वारा अपने पिछले कार्यकाल में विचलन के माध्यम से अनुमोदित कर दिया गया था । लेकिन दुबारा सरकार बनने पर मानदेय की फ़ाइल को निदेशालय और सचिवालय द्वारा अड़ंगा लगा दिया गया। कई बार शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग को ज्ञापन दिया गया लेकिन कुछ कार्यवाही नही हुई । 126 शिक्षकों को मानदेय प्रदान करने सम्बन्धी मुख्यमंत्री के अनुमोदन वाला शासनादेश जारी करने की माँग को लेकर संस्कृत शिक्षक धरने पर बैठे है।
आज के धरने में अपना समर्थन देने के लिए उत्तराखंड संस्कृत विद्यालयों में नियमित शिक्षकों के प्रदेश अध्यक्ष श्री रामभूषण बिजलवान, संतोष मुनि जी पहुँचे। उन्होंने संस्कृत शिक्षकों क़ो मानदेय प्रदान करने की माँग शासन से की। इसके साथ ही उत्तराखंड संस्कृत विद्यालय-महाविद्यालय प्रबंधकीय संघ के अध्यक्ष डॉक्टर जनार्दन कैरवान, महामंत्री नवीन पन्त, हेमंत तिवारी, श्यामलाल गौड़, मनोज शर्मा भी 126 शिक्षकों को मानदेय प्रदान करने की माँग के समर्थन में धरना स्थल पहुँचे।
अखिल भारतीय परशुराम अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक भी धरना स्थल पर पहुँचे। और संस्कृत शिक्षकों की माँग का समर्थन किया । इस अवसर पर सचिव रावेंद्र कुमार, रामेश्वर प्रसाद, अनूप रावत, कमेश ध्यानी, सूर्यप्रकाश रतूड़ी, अंजना उनियाल, प्रकाश तिवारी, नवीन ममगाँई, मेवाराम ग़ैरोला, जीवन आर्य ने धरना को सम्बोधित किया। इस अवसर पर मुख्य उपस्थिति में चक्रपाणि मैठानी, अतुल कुमार , इन्द्रमणि, अजीतप्रकाश, रूपेश जोशी, हरीश पांडे, विपिन उनियल, रवि पन्त, मुकेश कुमार, नेत्रवल्लभ कोठारी, भूवन चंद्रा जोशी, के० सी ० पांडे, नरेश प्रसाद, अभिषेक नौटियाल, दीप चंद्र, साकेत पाठक, राकेशपन्त, आशीष डबराल, रामेश्वरी देवी, डा.भारती पन्त,बिन्दुमती, अंजना उनियाल, संगीता अमोली, आदि शिक्षक उपस्थित थे।
उत्तराखंड के राज्य भर के संस्कृत विद्यालयों में कार्यरत 126 प्रबंधकीय शिक्षकों द्वारा उत्तराखंड संस्कृत निदेशालय हरिद्वार के परिसर में संस्कृत शिक्षा के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले अधिकारियों की बुद्धि को निर्मल करने हेतु बुद्धि- शुद्धि यज्ञ का आयोजन किया गया।
