मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में वन पंचायतों एवं वन से लगे क्षेत्रों में जड़ी-बूटी के उत्पादन एवं इससे रोजगार सृजन की असीम सम्भावनाओं को देखते हुए इस दिशा में गम्भीरता से कार्य किए जाने की आवश्यकता है।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में लगभग 70 प्रतिशत वन क्षेत्र होने के कारण इस क्षेत्र में अत्यधिक सम्भावनाएं हैं। उन्होंने इसके लिए सभी सम्बन्धित विभागों को मिलकर कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस दिशा में अच्छा कार्य कर रहे राज्यों की पॉलिसी का भी अध्ययन कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए जिलाधिकारी एवं डीएफओ को महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।
मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से इसके लिए 25 करोड़ विभागीय बजट का प्राविधान किया जाएगा। बाकी के बजट के लिए कैम्पा एवं अन्य स्रोतों से भी बजट की पूर्ति की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसके सफल संचालन के बाद वन पंचायतों की आर्थिकी में काफी सुधार आएगा। वन पंचायतों में अगले 5 वर्षों में 10 हजार हेक्टेयर में जड़ी-बूटी उत्पादन की सम्भावना है। उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट स्थानीय लोगों को आजीविका उपलब्ध कराने की दिशा एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
इस अवसर पर प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) अनूप मलिक, सचिव दीपेन्द्र चौधरी एवं निदेशक उद्यान रणवीर सिंह चौहान सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित थे।