सेना’ भारत की आत्मा का सुरक्षा कवचः स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश। भारत में हर साल 15 जनवरी को सैनिकों और भारतीय सेना के सम्मान में सेना दिवस मनाया जाता है। भारत आज अपना 73 वां भारतीय सेना दिवस मना रहा है इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ’’भारत की आत्मा का सुरक्षा कवच है हमारी सेना’’ आईये हम सभी देशवासी उन बहादुर सैनिकों को सलाम करते हुये उनकी शहादत को नमन करते हैं जिन्होंने देश और देशवासियों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। भारतीय सेना दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 1949 में की गई थी। वर्ष 1949 में भारत के अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ जनरल फ्रांसिस बुचर द्वारा लेफ्टिनेंट जनरल के.एम. करियप्पा को भारतीय सेना का कमांडर-इन-चीफ नामित करने की याद में सेना दिवस मनाया जाता है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हमारे सैनिक प्रतिकूल परिस्थितियों में रातदिन सीमाओं पर साहस के साथ खड़े रहते हैं और हम सब की रक्षा करते हैं। उनके पास अत्याधुनिक हथियार हों या न हो परन्तु भारत माता की रक्षा करने वाला साहसी हृदय जरूर  है। यह हमारे सेना का साहस ही है कि आज हम सभी सुरक्षित हैं, यह केवल सेना का फर्ज ही नहीं बल्कि एक बड़ी उपलब्धि भी है। उन सभी बहादुर सैनिकों को नमन जिन्होंने अपने देश और देशवासियों की सलामती के लिये अपना सर्वोच्च न्योछावर कर दिया। उन्होंने कहा कि सैनिक भी किसी संत से कम नहीं क्योंकि सैनिक हमारी सीमाओं की रक्षा के लिये लड़ता है और संत हमारी संस्कृति की रक्षा के लिये जीवन भर प्रयत्न करता हैय जीवन भर लड़ता है। हमारी सीमायें बचेगी तो संस्कृति भी बचेगी। सैनिक अपने राष्ट्र की रक्षा के लिये अपनी जान की बाजी लगा देते है जबकि अपनी जान तो सबको प्यारी होती है। दूसरों की जान को बचाने के लिये अपनी जान का बलिदान करने हेतु मजबूत आत्मबल की जरूरत होती है, हमारा प्रत्येक सैनिक मजबूत आत्मबल से युक्त है।
स्वामी जी ने कहा कि वास्तव में सेना हमारे राष्ट्र की रक्षक है। भारतीय सेना  नैतिकता, साहस और वीरता के साथ विश्वशांति और सौहार्द्रता के लिये कार्य करती है। मानवीयता और संवेदना दो बहुमूल्य अस्त्रों को हमारी सेना हमेशा सम्भाल कर रखती है। असीम करुणा और धैर्य के साथ वह हर परिस्थितियों को सँभालते हुये नफरत से ऊपर उठकर मानवता के उच्चतम आदर्शों को स्थापित करने वाली महानतम सेना है भारत की। स्वामी जी ने कहा कि भारतीय सेना न  केवल  साहस  और  वीरता के  साथ  दुश्मनों  का  सामना  करती है बल्कि आपदा और विपदा के समय  सेवा, सहयोग और समर्पण के साथ देशवासियों की मदद भी करती है क्योंकि भारतीय सेना के लिये नैतिकता और मानव धर्म सर्वोपरि है। सेना के प्रशिक्षण में भले ही मानवता, दया तथा सौहार्द्र आदि लिखित नियम न हो परन्तु हमारे सैनिकों के हृदय मे यह इबारत अमिट है। सैनिकों की बहादुरी, साहस, नैतिकता और धैर्य को नमन। आज की परमार्थ निकेतन गंगा आरती उन सभी बहादुर सैनिकों को समर्पित की जिन्होंने अपने राष्ट्र की रक्षा हेतु अपने प्राणों की आहुति दी।

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